मेरे आध्यात्मिक ज्ञान का आधार कोई पुस्तक नहीं Swamiji Amritvani - Vihanam Yoga

ब्रह्मविद्या का जो विज्ञान है, यह दो तरह का विज्ञान है । प्रथम विज्ञान तो यह है कि आप मन, बुद्धि के धरातल पर इसे समझें, अनुभव करें तथा दूसरा यह ज्ञान है कि आपकी आत्मा के धरातल पर इसे अनुभव करा दिया जाये । जिस प्रकार के संस्कार हम अपने आप लिए हुए हैं, जिस तरह की हमारी पात्रता है उसी प्रकार सद्गुरु की धारा भी कार्य करती है और उसी के अनुरूप हमें उपलब्धि भी होती है ।  ब्रह्मविद्या विहंगम योग के अंदर सबसे बड़ा ज्ञान यही है कि जो ज्ञान हमें मिला है, उसको हम पूर्ण आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ सद्गुरु के चरणों में बैठकर उस मण्डल से साधन करें, जिस मण्डल में साधन करने का हमें उपदेश मिला है ।  हमारी शक्ति भी दो तरह की है । एक शक्ति वह है जहाँ पर प्रकृति-जगत् है और दूसरी शक्ति वह है जहाँ पर आत्मा है । जब तक प्राकृतिक-साधन चलता है, तब तक प्राकृतिक शक्ति का विकास होता है, शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक उत्थान होता है । इस प्राकृतिक शक्ति के उत्थान की भी आवश्यकता है । मगर जब तक आत्मिक भूमि से साधन नहीं चलता है, तब तक आत्मिक शक्ति का भी उत्थान नहीं होता है । जब हमारी शक्ति उस चेतन केंद्र पर पहुँच जाती है और जब उस चेतन सद्गुरु से हम अपना सम्बन्ध जोड़ लेते हैं, तब हमारे सारे ज्ञान चेतन हो जाते हैं ।



This video contains the Amritvani of Anant Shri Sadguru Swatantra Deo Ji Maharaj which gives us a clear vision that the Knowledge of Brahm-Vidya Vihangam Yoga cannot be gained on the level of physical self. This knowledge can only be attained on the plane of itself i.e. Soul. This knowledge is beyond from the level of body, mind, intellect & voice. It can only be realized when our consciousness attached with the Supreme Being.

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