"स्वामी जी की अमृतवाणी" Swamiji Amritvani Ballia 18 July 2016 - Vihangam Yoga

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मैने एक आदमी से पूछा कि गुरू कौन है! वो सेब खा रहा था,उसने एक सेब मेरे हाथ मैं देकर मुझसे पूछा इसमें कितने बीज हें बता सकते हो ?
सेब काटकर मैंने गिनकर कहा तीन बीज हैं!
उसने एक बीज अपने हाथ में लिया और फिर पूछा-
इस बीज में कितने सेब हैं यह भी सोचकर बताओ?
मैं सोचने लगा एक बीज से एक पेड़, एक पेड़ से अनेक सेव अनेक सेबो में फिर तीन तीन बीज हर बीज से फिर एक एक पेड़ और यह अनवरत क्रम!
वो मुस्कुराते हुए बोले : बस इसी तरह गुरु की कृपा हमें प्राप्त होती रहती है! बस हमें उसकी भक्ति का एक बीज अपने मन में लगा लेने की ज़रूरत है!
गुरू एक तेज हे, जिनके आते ही, सारे सन्शय के अंधकार खतम हो जाते हैं!🍃
गुरू वो मृदंग है, जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते है!🍂
गुरू वो ज्ञान हैं, जिसके मिलते ही भय समाप्त हो जाता है ।🍃
गुरू वो दीक्षा है, जो सही मायने में मिलती है तो भवसागर पार हो जाते है!🍂
गुरू वो नदी है,जो निरंतर हमारे प्राण से बहती हैं!🍃
गुरू वो सत् चित् आनंद है,जो हमें हमारी पहचान देता है!🍂
गुरू वो बांसुरी है, जिसके बजते ही मन और शरीर आनंद अनुभव करता है!🍃
गुरू वो अमृत है, जिसे पीकर कोई कभी प्यासा नही रहता है!🍂
गुरू वो कृपा है, जो सिर्फ कुछ सद शिष्यों को विशेष रूप मे मिलती है और कुछ पाकर भी समझ नही
पाते हैं!🍃
गुरू वो खजाना है, जो अनमोल है!🍂
गुरू वो प्रसाद है, जिसके भाग्य में हो उसे कभी कुछ भी मांगने की ज़रूरत नही पड़ती हैं ||


★गुरु-शिष्य का सम्बन्ध इसी जीवन तक नहीं है जन्म-जन्मान्तर तक बना रहता है । गुरु अपने शरणागत शिष्य को बिना मुक्त किये, बीच में छोड़ता नहीं है, मुक्त होने के बाद भी जब जीव को यह भाव आने लगता है कि परमात्मा के सारे दिव्य गुण, दिव्य आनन्द, जो मुझे प्राप्त हो रहे हैं, ये सारे-के-सारे अपने हैं, 'अहं ब्रह्मास्मि' की अवस्था में भी सद्गुरु की चेतावनी से भरे शब्द उसे सावधान करते हैं– अरे! तुम आत्मा हो।
सद्गुरु का मिलना कठिन है । अनेक जन्मों का पुञ्ज-पुण्य का फल सद्गुरु-मिलन है तथा सद्गुरु के द्वारा ही संसृत दुख छूटता है एवं सद्गुरु के समान दूसरा नहीं है, न हो सकता है । इसलिए विवेकीजन सद्गुरु-चरण पकड़कर दीन, अधीन होकर सद्गुरु-शरण में अपने जीवन को व्यतीत करते हैं एवं कृतकृत्य होते हैं ।
सद्गुरु का व्यक्त और अव्यक्त दो रूप होता है । अव्यक्तरूप से वे सारी सृष्टि में व्यापक होकर रहते हैं तथा व्यक्त रूप से शरीर धारण कर दिव्य मानव स्वरूप में रहकर विरही, अध्यात्म-पिपासु जीवों को ब्रह्मविद्या विहंगम योग के अति दुर्लभ ज्ञान का उपदेश कर प्रभु-प्राप्ति का उपाय बतलाते हैं ।
This video contains the Amritvani of Anant Shri Sadguru Swatantra Deo Ji Maharaj on the beautiful occassion of Guru Purnima. This programme was held at Gharwar Ballia Uttar Pradesh on dated 18 July 2016.
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